अभ्यास के लिए प्रश्न—
1.
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए ,
सबको मुक्त समीरण,
बाधा - रहित विकास , मुक्त
आशंकाओं से जीवन ।
लेकिन , विघ्न अनेक अभी
इस पथ में पड़े हुये हैं
मानवता की राह रोक कर
पर्वत अड़े
हुये हैं ।
क) इस कविता का संदर्भ बताएँ।
ख) ‘बाधा रहित विकास’ से कवि
का क्या आशय है?
ग)
‘पर्वत’ शब्द से कवि का संकेत किस ओर है? कवि
किन विघ्नों की बात कर रहा है?
घ)
निम्नलिखित
शब्दों के अर्थ लिखिए—
मुक्त, समीरण, विघ्न, बाधा-रहित
2.
जब तक मनुज - मनुज का यह
सुख भाग नहीं सम
होगा
शमित न होगा कोलाहल
संघर्ष नहीं कम
होगा ।
उसे भूल नर फंसा परस्पर
की शंका में , भय में ,
निरत हुआ केवल अपने
ही
हेतु भोग संचय में ।
क) कवि के अनुसार कब तक संघर्ष कम नहीं होगा?
ख)
‘सुख भाग’ से क्या तात्पर्य है? यह कैसे समान होगा? —अपने विचार
प्रकट करें।
ग)
‘उसे भूल’ शब्द का प्रयोग कवि ने किस संदर्भ में किया है?
घ)
मनुष्य क्यों अपने सुख में
लिप्त हो गया है? कविता के अनुसार बताएँ।
No comments:
Post a Comment